Thursday 24 December 2015

क्या शरीर की तलाश में वो साया भटक रहा है


क्या शरीर की तलाश में वो साया भटक रहा है

हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां हर मोड़ पर इंसानों के भीतर डर और सिहरन पैदा करने के लिए आत्माएं और अन्य शैतानी ताकतें अपना रौब दिखाती रहती हैं. अब आप भले ही इस तथ्य पर यकीन ना करें लेकिन आपकी हर हरकत, हर कदम पर बुरी व अच्छी आत्माओं की नजर रहती है. यह आत्माएं आपको एक पल के लिए भी तन्हा नहीं छोड़तीं, हां कई बार भीड़भाड़ से बचते हुए वह आपको अकेलेपन में ही अपने होने का एहसास करवाती हैं. ऐसी ही एक घटना से हम आज आपको रुबरू करवाने जा रहे हैं जो कोई कहानी नहीं बल्कि एक आम इंसान के साथ घटित एक खौफनाक घटना है.

बाद आज से कुछ 5-10 साल पुरानी है. अशोक नाम का एक व्यक्ति जिसका गांव पूर्वी उत्तर-प्रदेश के एक कस्बाई इलाके में था. वैसे तो वो दिल्ली में नौकरी करता था लेकिन घर आए हुए काफी समय बीत चुका था इसीलिए छुट्टी लेकर वह घर आया हुआ था. यह इलाका बेहद सुनसान और घनी झाड़ियों के बीच बसा हुआ था और इन घनी झाड़ियों की बीच शाम के समय अकसर सन्नाटा ही पसरा रहता था.


अशोक को बचपन से ही छत पर सोने की आदत थी और बड़े होने के बाद जब भी वह गांव जाता तो अपने घर की खुली छत पर ही सोता था. लेकिन एक रात छत पर सोना ही उसके लिए महंगा साबित हुआ क्योंकि यह वो रात थी जब उसका सामना एक ऐसे साये से हुआ जो नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से उसके पास तो आया लेकिन अशोक की सूझबूझ की वजह से वह उसका बाल भी बांका नहीं कर सका.


रात का करीब एक बजा था कि अचानक किसी आवाज ने अशोक की नींद खोल दी. वह अपनी चारपाई से उठ कर छत की रेलिंग के पास जाकर आसपास देखने लगा. उसे अपने घर से थोड़ी ही दूर पर किसी साये को इधर-उधर घूमते हुए देखा, छोटा सा कस्बाई इलाका था उसे लगा शायद कोई अपने घर से बाहर आया होगा. वह वापिस जाकर चारपाई पर लेट गया. उसे फिर कुछ आवाज सुनाई दी लेकिन इस बार आवाज थोड़ी ज्यादा पास से आ रही थी.


वह फिर उठा और छत से नीचे देखने लगा. उसे अपने घर के पास ही एक साया दिखाई दिया लेकिन खौफनाक बात यह थी कि वह सिर्फ साया था उसका शरीर नहीं था. इतने में उसे सीढ़ियों पर किसी के बहुत ही तेजी के साथ चढ़ने की आवाज सुनाई दी. 1 मिनट से भी कम समय में वह साया उसकी नजरों के सामने खड़ा था. उसकी शक्ल, हाथ-पैर कुछ भी नहीं था, अगर कुछ था तो वह सिर्फ एक सफेद साया जो धीरे-धीरे अशोक की तरफ बढ़ता जा रहा था.


कहते हैं बुराई को काटने के लिए अच्छाई का ही सहारा लिया जाता है इसीलिए उस साये से खुद को बचाने के लिए उस समय अशोक ने कवच कीलक अर्गला मंत्र का जाप करना शुरू कर दिया. वह लगातार 5 मिनट तक यह जाप करता रहा और वह साया उनके पास आता रहा. अचानक ही वह साया अंतरध्यान हो गया. वह हवा था और एक दम से हवा में बहकर गायब हो गया. वह कहां गया, कहां से आया था कुछ पता नहीं चला लेकिन कुछ समय जब तक वह साया अशोक के सामने रहा उन चंद लम्हों ने अशोक के हाथ-पांव फुला दिए थे.

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